तेरी प्रीत को मन तरसे है, अंखिया तरसे दर्शन को।
दिन कटता है तेरी राह में, रात तेरी शुधियों में।
सूने है यमुना के तीर, समझ भी जा अब मेरी पीर।
तेरी याद में अँखिया बरसे, मन सावन को तरसे।
वंशीधर, विशधर के स्वामी, आ जाओ गोकुल में।
तरस रही गोकुल की गलियां, धुल पॉव को तरसे।
होली में सूखी है सखिया, सूखा पचरंग चीर।
अंजुरी तरसे तेरी छुअंन को, तन बहो को तरसे।
तेरी प्रीत को मन तरसे है, अंखिया तरसे दर्शन को।
Assistant Professor
NIT, Hamirpur
Super
उत्तर द्याहटवाExcellent poem
उत्तर द्याहटवाFantastic...really Good Work.....Dr. Raj
उत्तर द्याहटवाNice one sir
उत्तर द्याहटवाSuper
उत्तर द्याहटवा👌Nice
उत्तर द्याहटवाBrijwaasi peer...
उत्तर द्याहटवाNice work...lockdown ma hindi paath...good
उत्तर द्याहटवाVery nice sir👌
उत्तर द्याहटवा