मैं तो हू गोकुल का ग्वाला । तू है बिलकुल राधा जैसी। मैं सुरज के भोर सा है। तू चंदा की चॉंदी जैसी। मैं इन्द्रधनुष के रंगो सा। तू बरसाने की होली जैसी। मैं तो बगिया का माली हू। तू बगिया के फूलो जैसी। मैं तो झरने सा झारता हू। तू बहती है नदिया जैसी। मैं पथिक सा चलने वाला। तू चलती हिरनी जैसी। मैं तो यहॉं मुशफिर हू। तू है पथिक के साथी जैसी। मैं दरवाजे सा खुलता हू। तू खुलती है खिड़की जैसी। मैं हू मेहनत के हाथों वाला तु है हाथों की रेखा जैसी। मैं तो भँवरे सा उड़ता हू। तू इठलाय़े तितली जैसी। मैं धरती पर रहने वाला। तू है स्वरग अप्सरा जैसी। तू अपने दिल की भी सुनले। जीवन भर साथ निभाऊगां। तू मेरे दिल मे रहती है। तू है मेरी दुनियां जैसी। मैं तो हू गोकुल का ग्वाला । तू है बिलकुल राधा जैसी। - Dr. Raj Bahadur Singh...
Marathi Podcasts, Latest News, old marathi speeches, informative blogs, interesting facts